नई दिल्ली
'मिसाइल मैन' के नाम से मशहूर भारत के 11वें राष्ट्रपति भारत रत्न डॉक्टर ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का सोमवार को निधन हो गया। देशवासियों के साथ गहरा जुड़ाव रखने वाले कलाम को देश के पूर्व राष्ट्रपति के तौर पर ही याद नहीं रखा जाएगा बल्कि उनकी मेहनत के लिए भी उन्हें कभी नहीं भुलाया जा सकता। कलाम हमेशा नौजवानों को प्रेरणा देने का काम करते रहेंगे।
'मिसाइल मैन' के नाम से मशहूर भारत के 11वें राष्ट्रपति भारत रत्न डॉक्टर ए. पी. जे. अब्दुल कलाम का सोमवार को निधन हो गया। देशवासियों के साथ गहरा जुड़ाव रखने वाले कलाम को देश के पूर्व राष्ट्रपति के तौर पर ही याद नहीं रखा जाएगा बल्कि उनकी मेहनत के लिए भी उन्हें कभी नहीं भुलाया जा सकता। कलाम हमेशा नौजवानों को प्रेरणा देने का काम करते रहेंगे।
बचपन में अखबार तक बेचे
सात भाई बहनों में सबसे छोटे अवुल पकिर जैनुलआब्दीन अब्दुल कलाम के माता-पिता ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि रामेश्वरम जैसे छोटे कस्बे का लड़का सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को अपनी प्रतिभा से चौंका देगा। उसकी सोच भारत को पूरे विश्व में गर्व करने का जरिया बनेगी। कलाम का जन्म एक तमिल मुस्लिम परिवार में 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु में हुआ था। उनके पिता जैनुलआब्दीन एक बोट ओनर थे और मां आशियम्मा एक हाउसवाइस।
कलाम की शुरुआती शिक्षा रामेश्वरम के प्राथमिक स्कूल में हुई। गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले कलाम ने बेहद कम उम्र से कमाना भी शुरू कर दिया था। स्कूल खत्म होने के बाद वह पिता की मदद करने के लिए अखबार बेचते थे। हालांकि स्कूल में कलाम को ऐवरेज ग्रेड ही मिलते थे, लेकिन उनका मैथ्स की तरफ खास रुझान था।
मद्रास यूनिवर्सिटी से की ग्रैजुएशन
रामनाथपुरम मैट्रिक्युलेशन स्कूल से स्कूलिंग पूरी करने के बाद कलाम ने यूनिवर्सिटी ऑफ मद्रास से 1954 में फिजिक्स में ग्रैजुएशन किया। इसके बाद साल 1955 में उन्होंने मद्रास से एयरोस्पेस इंजिनियरिंग की। हालांकि बहुत कम लोग जानते हैं कि कलाम एक फाइटर पायलट बनना चाहते थे, लेकिन उनका नंबर नहीं आ पाया।
DRDO में एंट्री
1958 में मद्रास इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी से ग्रैजुएशन करने के बाद कलाम ने डिफेंस रिसर्च ऐंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) जॉइन किया। शुरुआत में उन्होंने इंडियन आर्मी के लिए एक छोटा हेलिकॉप्टर डिजाइन किया था, लेकिन वह इससे संतुष्ट नहीं थे। इसके बाद 1962 में उन्होंने इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) जॉइन किया।
इसरो में दिखाया कमाल
इसरो में आते ही कलाम की प्रतिभा के सब कायल हो गए। 1980 में भारत ने अपने पहले स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएलवी-3) से रोहिणी सैटलाइट को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक स्थापित किया। कलाम इसके प्रॉजेक्ट डायरेक्टर थे। साल 1965 में कलाम ने डीआरडीओ में स्वतंत्र रूप से रॉकेट प्रॉजेक्ट पर काम करना शुरू किया। कलाम 1992 से 1999 तक प्रधानमंत्री के चीफ साइंटिफिक अडवाइर और डीआरडीओ के चीफ सेक्रेटरी भी रहे।
मिसाइल मैन बनने का सफर...
कलाम ने भारत को रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से रक्षामंत्री के तत्कालीन वैज्ञानिक सलाहकार डॉ वी.एस. अरुणाचलम के मार्गदर्शन में 'इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डिवेलपमेंट प्रोग्राम' (IGMDP) की शुरुआत की। इस प्रोग्राम के तहत त्रिशूल, पृथ्वी, आकाश, नाग, अग्नि और रूस के साथ संयुक्त रूप से विकसित ब्रह्मोस जैसी मिसाइलें बनाई गईं। इनकी कामयाबी से भारत उन देशों की कतार में आ गया, जो अडवांस टेक्नॉलजी ऐंड वेपन सिस्टम से लैस है।
डिफेंस में प्रोग्रेस इसी तरह बनी रहे, इसके लिए कलाम ने डीआरडीओ का विस्तार करते हुए रिसर्च सेंटर इमारत (आरसीआई) जैसे अडवांस रिसर्च सेंटर की स्थापना भी की। उनके ही विजन से भारत ने साल 1998 में 11 और 13 मई को पोकरण में सफल परमाणु परीक्षण किया, जिसकी कई देशों ने निंदा भी की थी, लेकिन इसके बाद भारत का रुतबा पूरी दुनिया में बढ़ गया और कलाम को मिला नया नाम 'मिसाइल मैन'।
साइंटिस्ट से राष्ट्रपति तक
डॉ. कलाम ने 25 जुलाई 2002 को भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली और साल 2007 तक वह इस पद पर रहे। उनका विजन भारत को एक विकसित और सुपरपावर देश बनाना था। उनकी किताब इंडिया 2020 में देश के विकास के लिए उनका विजन साफ देखा जा सकता है। कलाम कहते थे कि सुपर पावर बनने के लिए भारत को कृषि एवं खाद्य प्रसंस्ककरण, ऊर्जा, शिक्षा व स्वास्थ्य, सूचना प्रौद्योगिकी, परमाणु, अंतरिक्ष और रक्षा प्रौद्योगिकी के विकास पर ध्यान देना होगा।
कलाम ऐसे शख्स हैं जिनसे लाखों युवा प्रेरणा लेते हैं, इसके लिए उन्होंने अपनी जीवनी विंग्स ऑफ फायर खूबसूरत अंदाज में लिखी है। उनकी दूसरी किताब 'गाइडिंग सोल्स- डायलॉग्स ऑफ द पर्पज ऑफ लाइफ' धार्मिक विचारों को दर्शाती है। कलाम की किताबों की साउथ कोरिया में भारी डिमांड है और इन्हें वहां बहुत पसंद किया जाता है। इसके अलावा कलाम ने तमिल में कुछ कविताएं भी लिखी हैं।
'भारत रत्न' कलाम
कलाम को उनके शानदार योगदान के लिए साल 1981 में पद्म भूषण, 1990 में पद्म विभूषण और सबसे बड़ा नागरिक सम्मान भारत रत्न 1997 में दिया गया। डॉ. जाकिर हुसैन के बाद कलाम दूसरे ऐसे राष्ट्रपति थे, जिन्हें यह पद संभालने से पहले ही भारत रत्न मिल चुका था। इसी साल उन्हें 1997 में इंदिरा गांधी अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया। कलाम इकलौते ऐसे साइंटिस्ट थे, जिन्हें 30 यूनिवर्सिटीज और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिली है। कलाम अपने महान व्यक्तित्व के बावजूद अपनी सादगी और सरल व्यवहार के लिए हमेशा जाने जाते रहे हैं। यही कारण है कि वह बच्चों के बीच भी खूब लोकप्रिय रहे।
डॉ. कलाम ने 25 जुलाई 2002 को भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली और साल 2007 तक वह इस पद पर रहे। उनका विजन भारत को एक विकसित और सुपरपावर देश बनाना था। उनकी किताब इंडिया 2020 में देश के विकास के लिए उनका विजन साफ देखा जा सकता है। कलाम कहते थे कि सुपर पावर बनने के लिए भारत को कृषि एवं खाद्य प्रसंस्ककरण, ऊर्जा, शिक्षा व स्वास्थ्य, सूचना प्रौद्योगिकी, परमाणु, अंतरिक्ष और रक्षा प्रौद्योगिकी के विकास पर ध्यान देना होगा।
कलाम ऐसे शख्स हैं जिनसे लाखों युवा प्रेरणा लेते हैं, इसके लिए उन्होंने अपनी जीवनी विंग्स ऑफ फायर खूबसूरत अंदाज में लिखी है। उनकी दूसरी किताब 'गाइडिंग सोल्स- डायलॉग्स ऑफ द पर्पज ऑफ लाइफ' धार्मिक विचारों को दर्शाती है। कलाम की किताबों की साउथ कोरिया में भारी डिमांड है और इन्हें वहां बहुत पसंद किया जाता है। इसके अलावा कलाम ने तमिल में कुछ कविताएं भी लिखी हैं।
'भारत रत्न' कलाम
कलाम को उनके शानदार योगदान के लिए साल 1981 में पद्म भूषण, 1990 में पद्म विभूषण और सबसे बड़ा नागरिक सम्मान भारत रत्न 1997 में दिया गया। डॉ. जाकिर हुसैन के बाद कलाम दूसरे ऐसे राष्ट्रपति थे, जिन्हें यह पद संभालने से पहले ही भारत रत्न मिल चुका था। इसी साल उन्हें 1997 में इंदिरा गांधी अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया। कलाम इकलौते ऐसे साइंटिस्ट थे, जिन्हें 30 यूनिवर्सिटीज और संस्थानों से डॉक्टरेट की मानद उपाधि मिली है। कलाम अपने महान व्यक्तित्व के बावजूद अपनी सादगी और सरल व्यवहार के लिए हमेशा जाने जाते रहे हैं। यही कारण है कि वह बच्चों के बीच भी खूब लोकप्रिय रहे।